गोरक्षसंहिता - goraksh sanhita Sanskrit PDF Book - by Janardan Pandey

गोरक्षसंहिता – Gorakshsanhita Sanskrit PDF Book – by Janardan Pandey

“‘गोरक्ष संहिता’ (goraksh sanhita Book) – योग और तंत्र साधना का एक प्राचीन ग्रंथ, जो गुरु गोरक्षनाथ की शिक्षाओं और योग पद्धतियों का विस्तृत वर्णन करता है। यह साधकों और योग प्रेमियों के लिए एक अनमोल ग्रंथ है।”

“‘गोरक्ष संहिता’  पुस्तक में योग, ध्यान, तांत्रिक विधाओं और आध्यात्मिक साधना के गूढ़ रहस्यों का उल्लेख किया गया है, जो आत्मज्ञान और मानसिक शांति प्रदान करती है।”

“‘गोरक्ष संहिता’  – गुरु गोरक्षनाथ की प्राचीन शिक्षाओं पर आधारित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ, जो योग साधना, प्राणायाम और कुंडलिनी जागरण के सिद्धांतों को स्पष्ट करता है।”

“‘गोरक्ष संहिता’ (goraksh sanhita Book) पुस्तक योग साधना, तंत्र विद्या और आत्मिक जागरण के रहस्यों को प्रकट करती है, जो साधकों को अपने आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने में मदद करती है।”

“‘गोरक्ष संहिता’ – योग, तंत्र और साधना पर आधारित एक गहन पुस्तक जो गुरु गोरक्षनाथ की शिक्षाओं को समझने और जीवन में लागू करने के लिए मार्गदर्शन देती है।”

Book Details / किताब का विवरण 

Book Nameगोरक्षसंहिता / Gorakshsanhita
AuthorJanardan Pandey
Languageसंस्कृत / Sanskrit
Pages477
QualityGood
Size91 MB

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Table of Contents

goraksh sanhita Book

‘गोरक्ष संहिता’ (goraksh sanhita Book) भारतीय योग परंपरा का एक प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह ग्रंथ महान योगी गुरु गोरखनाथ द्वारा रचित माना जाता है। गोरखनाथ योग परंपरा के संस्थापक हैं, जिन्हें हठयोग के महान गुरु के रूप में जाना जाता है। ‘गोरक्ष संहिता’ में योग के विभिन्न आयामों, साधना विधियों और ध्यान के रहस्यों का गहन वर्णन किया गया है। यह पुस्तक योग साधकों के लिए एक मार्गदर्शक है, जिसमें योग के माध्यम से आत्मा की शुद्धि, मानसिक शांति और मोक्ष प्राप्त करने के मार्ग बताए गए हैं।

पुस्तक में शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक संतुलन और आत्मिक विकास के लिए योग के विभिन्न आसनों, प्राणायाम, ध्यान और साधना के महत्व को समझाया गया है। इसके साथ ही, गोरक्ष संहिता में आध्यात्मिक जागृति के लिए गुरु-शिष्य परंपरा, ब्रह्मचर्य, ध्यान और तपस्या का महत्व भी प्रतिपादित किया गया है। यह ग्रंथ योग के गूढ़ रहस्यों को उजागर करता है और साधकों को आत्म-साक्षात्कार की दिशा में प्रेरित करता है।

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पुस्तक का उद्देश्य और महत्व

‘गोरक्ष संहिता’ का मुख्य उद्देश्य साधकों को योग के माध्यम से आध्यात्मिक जागृति और आत्मज्ञान की ओर मार्गदर्शन देना है। गोरखनाथ ने इस ग्रंथ में योग के सिद्धांतों को व्यावहारिक रूप में प्रस्तुत किया है ताकि साधक अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकें।

पुस्तक में यह बताया गया है कि योग केवल शरीर को स्वस्थ रखने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह आत्मा को शुद्ध करने और मानसिक शांति प्राप्त करने का भी साधन है। गोरक्ष संहिता के अनुसार, योग का अंतिम उद्देश्य आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष प्राप्त करना है।

गोरखनाथ ने इस ग्रंथ के माध्यम से यह संदेश दिया है कि योग साधना से व्यक्ति अपने भीतर की नकारात्मकता को दूर कर सकता है और अपने भीतर छिपी हुई दिव्य शक्ति को जागृत कर सकता है। उन्होंने यह भी बताया है कि साधक को गुरु के मार्गदर्शन में योग साधना करनी चाहिए, क्योंकि गुरु ही आत्मज्ञान की प्राप्ति में सहायक होते हैं।

पुस्तक के प्रमुख विषय

‘गोरक्ष संहिता’ में योग और साधना से संबंधित कई महत्वपूर्ण विषयों का वर्णन किया गया है। कुछ प्रमुख विषय इस प्रकार हैं:

1. योग के प्रकार और महत्व

गोरक्ष संहिता में योग के विभिन्न प्रकारों का वर्णन किया गया है, जैसे हठयोग, राजयोग, कर्मयोग, ज्ञानयोग और भक्तियोग। प्रत्येक योग का अपना विशेष महत्व है और यह साधक को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से विकसित करता है।

गोरखनाथ ने हठयोग पर विशेष जोर दिया है, जिसमें शारीरिक आसन, प्राणायाम और ध्यान की प्रक्रिया को समझाया गया है। हठयोग के माध्यम से साधक अपने शरीर और मन को नियंत्रित कर सकता है और आत्मज्ञान की ओर बढ़ सकता है।

2. प्राणायाम और ध्यान की विधियाँ

गोरक्ष संहिता में प्राणायाम और ध्यान की विभिन्न विधियों का विस्तार से वर्णन किया गया है। प्राणायाम के माध्यम से साधक अपने श्वास को नियंत्रित कर सकता है और शरीर में ऊर्जा का संचार कर सकता है।

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ध्यान के माध्यम से साधक अपने मन को एकाग्र करता है और आत्मा की गहराइयों में उतरता है। गोरखनाथ ने बताया है कि ध्यान के माध्यम से साधक आत्मज्ञान प्राप्त कर सकता है और मोक्ष की ओर अग्रसर हो सकता है।

3. गुरु-शिष्य परंपरा

गोरक्ष संहिता में गुरु-शिष्य परंपरा का भी महत्वपूर्ण स्थान है। गोरखनाथ ने बताया है कि गुरु के बिना साधक को आत्मज्ञान प्राप्त करना कठिन है। गुरु साधक को सही मार्ग दिखाता है और उसे साधना के दौरान आने वाली कठिनाइयों से बचाता है।

गुरु के निर्देशों का पालन करना और उनके प्रति श्रद्धा रखना साधक के लिए आवश्यक है। गोरखनाथ ने कहा है कि एक सच्चा गुरु साधक को न केवल योग की विधियाँ सिखाता है, बल्कि उसे आत्मा की शुद्धि और मानसिक शांति प्राप्त करने में भी सहायता करता है।

4. ब्रह्मचर्य और संयम का महत्व

गोरक्ष संहिता में ब्रह्मचर्य और संयम को योग साधना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया गया है। गोरखनाथ ने कहा है कि साधक को अपने इंद्रियों पर नियंत्रण रखना चाहिए और अपने मन को बाहरी आकर्षणों से बचाना चाहिए।

ब्रह्मचर्य का पालन करने से साधक की ऊर्जा सुरक्षित रहती है और वह अपनी साधना में गहरी एकाग्रता प्राप्त कर सकता है। संयम से साधक अपने मन और शरीर को शुद्ध करता है और आत्मज्ञान की ओर बढ़ता है।

5. मोक्ष का मार्ग

गोरक्ष संहिता में मोक्ष प्राप्त करने के मार्ग का भी वर्णन किया गया है। गोरखनाथ ने बताया है कि योग साधना के माध्यम से साधक अपने भीतर की दिव्य शक्ति को जागृत कर सकता है और मोक्ष प्राप्त कर सकता है।

मोक्ष का अर्थ है आत्मा का शुद्धिकरण और जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति। गोरखनाथ ने कहा है कि मोक्ष प्राप्त करने के लिए साधक को निरंतर साधना करनी चाहिए और अपने गुरु के मार्गदर्शन में रहना चाहिए।

पुस्तक का व्यावहारिक उपयोग

‘गोरक्ष संहिता’  (goraksh sanhita Book) केवल योग साधकों के लिए ही नहीं, बल्कि आम व्यक्ति के लिए भी उपयोगी है। इसमें दिए गए योग के सिद्धांत और साधना की विधियाँ व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक और आत्मिक विकास में सहायक होती हैं।

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यह ग्रंथ व्यक्ति को यह सिखाता है कि कैसे वह अपने जीवन में संतुलन बना सकता है, अपने मन को नियंत्रित कर सकता है और आत्मज्ञान प्राप्त कर सकता है। योग साधना के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में शांति और संतुष्टि प्राप्त कर सकता है।

निष्कर्ष

‘गोरक्ष संहिता’ (goraksh sanhita Book) एक महान योग ग्रंथ है, जो योग के गूढ़ रहस्यों को उजागर करता है और साधकों को आत्मज्ञान की ओर प्रेरित करता है। यह ग्रंथ हठयोग, प्राणायाम, ध्यान, गुरु-शिष्य परंपरा और मोक्ष के मार्ग का गहन वर्णन करता है।

गोरखनाथ ने इस ग्रंथ के माध्यम से यह संदेश दिया है कि योग साधना के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में संतुलन और शांति प्राप्त कर सकता है। ‘गोरक्ष संहिता’ भारतीय योग परंपरा का एक अमूल्य ग्रंथ है, जो आज भी योग साधकों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बना हुआ है।

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