“‘श्री यमुनाष्टकं’ (Shri Yamunashtakam Book) – भगवान श्री कृष्ण की प्रिय यमुना नदी के भव्य गुणों का वर्णन करती एक पवित्र और दिव्य पुस्तक। भक्तों और साधकों के लिए अनमोल ग्रंथ।”
“‘श्री यमुनाष्टकं’ (Shri Yamunashtakam Book) पुस्तक में यमुनाजी की महिमा और उनकी भक्ति को 8 श्लोकों में सरलता से व्यक्त किया गया है। आध्यात्मिकता में रुचि रखने वालों के लिए आदर्श।”
“‘श्री यमुनाष्टकं’ (Shri Yamunashtakam Book) – श्री कृष्ण की यमुनाजी के प्रति प्रेम और भक्ति का सुंदर रूपांतरण। एक आध्यात्मिक पुस्तक जो हृदय को शांति और प्रेम प्रदान करती है।”
“‘श्री यमुनाष्टकं’ (Shri Yamunashtakam Book) में यमुनाजी की दिव्यता और श्री कृष्ण के साथ उनके संबंधों का संगीतमय रूप में वर्णन किया गया है। भक्ति साहित्य के लिए एक प्रेरणादायक पुस्तक।”
“‘श्री यमुनाष्टकं’ (Shri Yamunashtakam Book) – श्री कृष्ण और यमुनाजी के संबंधों को प्रदर्शित करने वाली एक अद्भुत पुस्तक। भक्ति मार्ग पर चलने वाले पाठकों के लिए एक महत्वपूर्ण ग्रंथ।”
Book Details / किताब का विवरण | |
Book Name | श्रीयमुनाष्टकम / Shri Yamunashtakam |
Author | Mahaprabhu Shrimad Vallabhacharya |
Language | संस्कृत / Sanskrit |
Pages | 408 |
Quality | Good |
Size | 128 MB |
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Table of Contents
Shri Yamunashtakam Book
‘श्री यमुनाष्टकम’ (Shri Yamunashtakam Book) एक महत्वपूर्ण धार्मिक और भक्ति काव्य रचना है, जिसे श्री यमुनाचार्य द्वारा रचित माना जाता है। यह पुस्तक विशेष रूप से भगवान श्री कृष्ण की परम भक्ति और यमुनाजी की महिमा का गान करती है। यमुनाष्टकम के आठ श्लोकों में यमुनाजी की महिमा, उनके स्वभाव, और उनके दर्शन की प्राप्ति के महत्व का वर्णन किया गया है। यह पुस्तक न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसमें व्यक्त भक्ति भावनाओं से मनुष्य की आंतरिक शांति और मोक्ष प्राप्ति की राह भी प्रदर्शित की जाती है।
पुस्तक का विषयवस्तु और रचनात्मकता
‘श्री यमुनाष्टकम’ (Shri Yamunashtakam Book) पुस्तक में कुल आठ श्लोक होते हैं, जो यमुनाजी की पवित्रता, सौंदर्य, और उनकी अनंत कृपा का बखान करते हैं। इन श्लोकों में लेखक ने भगवान कृष्ण के साथ यमुनाजी के अनन्य संबंधों और यमुनाजी के द्वारा भक्तों की असीम कृपा का वर्णन किया है। प्रत्येक श्लोक में यमुनाजी के अद्वितीय गुणों और उनके दर्शन की महिमा को व्यक्त किया गया है, जिससे पाठकों के मन में भक्ति भाव और श्रद्धा उत्पन्न होती है।
1. यमुनाजी की महिमा
पहले श्लोक में यमुनाजी की महिमा का गान किया गया है, जिसमें उनकी पवित्रता और महत्व को प्रकट किया गया है। यमुनाजी को न केवल एक नदी के रूप में पूजा जाता है, बल्कि वे भगवान कृष्ण के साथ गहरे आत्मीय संबंध रखने वाली दिव्य आत्मा मानी जाती हैं। उनका पानी, उनका जल, और उनके दर्शन सभी के लिए शुभ और कल्याणकारी माने गए हैं। यह श्लोक भक्तों को यमुनाजी की उपासना की प्रेरणा देता है, जो आत्मा के शुद्धिकरण में सहायक है।
2. यमुनाजी के साथ भगवान कृष्ण का संबंध
‘श्री यमुनाष्टकम’ (Shri Yamunashtakam Book) के श्लोकों में यमुनाजी और भगवान कृष्ण के मधुर संबंधों का भी बहुत सुंदर चित्रण किया गया है। कृष्ण जी की लीला में यमुनाजी का विशेष स्थान है। श्री कृष्ण के बाल्यकाल में यमुनाजी के जल में खेलना और उनका साथ देना, यह उनकी पवित्रता और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस पुस्तक में यह भावना व्यक्त की गई है कि जैसे कृष्ण जी की कृपा यमुनाजी पर होती है, वैसे ही वे अपने भक्तों पर कृपा करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।
3. यमुनाजी के दर्शन और आशीर्वाद की महिमा
पुस्तक के अन्य श्लोकों में यमुनाजी के दर्शन की महिमा और उनके आशीर्वाद का महत्व बताया गया है। यमुनाजी के दर्शन करने से भक्तों के जीवन में शांति और सुख-समृद्धि का आगमन होता है। उनके दर्शन से हर प्रकार के दुखों और क्लेशों का नाश होता है। यमुनाजी के जल में स्नान करने से मानसिक और शारीरिक शुद्धि होती है, जिससे भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
4. भक्ति और श्रद्धा की शिक्षा
‘श्री यमुनाष्टकम’ (Shri Yamunashtakam Book) पुस्तक में एक महत्वपूर्ण संदेश यह भी है कि भक्ति और श्रद्धा से भगवान कृष्ण और यमुनाजी की पूजा करनी चाहिए। भक्ति में शक्ति होती है, जो जीवन के सारे संकटों को समाप्त करने में सहायक होती है। पुस्तक में यही संदेश दिया गया है कि जब तक मनुष्य अपने भीतर श्रद्धा और प्रेम से भगवान के प्रति समर्पित नहीं होगा, तब तक वह उनके वास्तविक रूप को नहीं देख सकता।
5. यमुनाजी के जल से जीवन का उद्धार
अंतिम श्लोक में यह कहा गया है कि यमुनाजी का जल जीवन के उद्धार के लिए आवश्यक है। जिस प्रकार यमुनाजी के जल में डुबकी लगाने से आत्मा शुद्ध होती है, ठीक उसी प्रकार भक्ति में डूबकी लगाने से जीवन का उद्देश्य पूर्ण होता है।
पुस्तक की शैली और प्रस्तुति
‘श्री यमुनाष्टकम’ (Shri Yamunashtakam Book) पुस्तक की शैली अत्यधिक सरल और आकर्षक है। लेखक ने भक्ति को भाषा के माध्यम से व्यक्त करने के लिए सुंदर शब्दों और विचारों का चयन किया है। प्रत्येक श्लोक में गहराई से भावनाओं का वर्णन किया गया है, जो पाठक के हृदय को छू जाता है। श्लोकों की रचनात्मकता और उनके अर्थ को समझाने में लेखक ने कोई कमी नहीं छोड़ी है।
पुस्तक में संस्कृत के श्लोकों के साथ-साथ हिंदी में उनके अर्थ भी दिए गए हैं, जिससे पाठकों को इसे समझने में आसानी हो। यह पुस्तक भक्तों को यमुनाजी और भगवान कृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा को और अधिक प्रगाढ़ करने की प्रेरणा देती है।
निष्कर्ष
‘श्री यमुनाष्टकम’ (Shri Yamunashtakam Book) एक अत्यधिक पवित्र और भक्ति पूर्ण काव्य रचना है, जो न केवल यमुनाजी की महिमा का गान करती है, बल्कि भगवान कृष्ण के प्रति श्रद्धा और भक्ति को बढ़ाने के लिए भी प्रेरित करती है। इस पुस्तक में दिए गए श्लोक भक्तों को यमुनाजी और भगवान कृष्ण की उपासना करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जिससे जीवन में शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ‘श्री यमुनाष्टकम’ न केवल धार्मिक ग्रंथ के रूप में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक भक्ति मार्गदर्शिका के रूप में भी कार्य करती है।
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