परमार्थसार - Parmarthasar Sanskrit PDF Book - by Abhinav Gupt

परमार्थसार – Parmarthasar Sanskrit PDF Book – by Abhinav Gupt

“परमार्थसार” (Parmarthasar Book) पुस्तक में आत्मज्ञान और आध्यात्मिकता के गूढ़ रहस्यों का सरल और गहन विवेचन प्रस्तुत किया गया है। यह पुस्तक सच्चे परमार्थ को समझने का मार्गदर्शन देती है।

“परमार्थसार” में जीवन के परम उद्देश्य, ब्रह्मांड के सत्य और आत्मा के वास्तविक स्वरूप को जानने के लिए गहन आध्यात्मिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया है।

“परमार्थसार” (Parmarthasar Book) पुस्तक में आत्मा, ब्रह्म और मोक्ष के गहरे रहस्यों को सरल और प्रभावशाली भाषा में समझाया गया है। यह अध्यात्म प्रेमियों के लिए अनमोल ग्रंथ है।

“परमार्थसार” में परमार्थ और आध्यात्मिक चेतना के उच्चतम सिद्धांतों पर विस्तृत व्याख्यान दिया गया है। यह आत्मज्ञान की खोज करने वालों के लिए आदर्श है।

“परमार्थसार” पुस्तक में जीवन, ब्रह्म और आत्मा के संबंध को गहराई से समझाने के लिए आध्यात्मिक दृष्टिकोण प्रदान किया गया है।

Book Details / किताब का विवरण 

Book Nameपरमार्थसार / Parmarthasar
AuthorAbhinav Gupt
Languageसंस्कृत / Sanskrit
Pages94
QualityGood
Size13.1 MB

Given Below Download Link...

Download Now

Table of Contents

Parmarthasar Book

‘पारमार्थसार’ (Parmarthasar Book) भारतीय दार्शनिक और आध्यात्मिक साहित्य का एक प्रमुख ग्रंथ है, जिसे कश्मीर के प्रसिद्ध शैवदर्शनाचार्य अभिनवगुप्त द्वारा लिखा गया है। यह ग्रंथ दार्शनिक, आध्यात्मिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से अद्वैत (अद्वैत शैवदर्शन) की गहरी समझ प्रदान करता है। इसमें आत्मा, ब्रह्मांड, और परमात्मा के बीच के संबंध को सरल और प्रभावशाली तरीके से समझाया गया है।

  महात्मा गांधी परक संस्कृत काव्य - Mahatma Gandhi Parak Sanskrit Kavya Hindi PDF Book - by Dr. Kumud Tandon

ग्रंथ का उद्देश्य

‘पारमार्थसार’ (Parmarthasar Book) का मुख्य उद्देश्य मानव जीवन के सार को समझाना और जीवन को आध्यात्मिक दिशा देना है। इसमें व्यक्ति के आत्मबोध और ब्रह्मांडीय चेतना के एकत्व को स्पष्ट किया गया है। यह ग्रंथ बताता है कि आत्मा और परमात्मा अलग नहीं हैं, बल्कि एक ही सार्वभौमिक चेतना के विभिन्न रूप हैं।

मुख्य विचार और दर्शन

इस ग्रंथ में शैवदर्शन के प्रमुख सिद्धांतों का वर्णन है। यह बताता है कि आत्मा शुद्ध चेतना है, जो किसी भी बाहरी प्रदूषण या बंधन से मुक्त है। लेकिन जब यह चेतना अपने वास्तविक स्वरूप को भूल जाती है, तो माया (अज्ञान) के कारण वह अपने आप को सीमित समझने लगती है।

  • अद्वैत और सार्वभौमिक चेतना:
    पारमार्थसार में अद्वैत का सिद्धांत प्रमुख है। इसमें कहा गया है कि सृष्टि में सब कुछ एक ही चेतना से उत्पन्न हुआ है। आत्मा और परमात्मा में कोई भेद नहीं है। यह भेद केवल अज्ञान और माया के कारण प्रतीत होता है।
  • मुक्ति का मार्ग:
    यह ग्रंथ बताता है कि मानव अपने अज्ञान को समाप्त करके, ध्यान और साधना के माध्यम से अपने सच्चे स्वरूप का अनुभव कर सकता है। यह अनुभव ही मोक्ष या मुक्ति है।
  • माया और अज्ञान:
    माया को इस ग्रंथ में एक आवरण के रूप में वर्णित किया गया है, जो आत्मा को उसके वास्तविक स्वरूप से भटकाती है। अज्ञान ही उस बंधन का कारण है, जिससे आत्मा खुद को अलग और सीमित मानती है।
  • साधना और आत्मबोध:
    ग्रंथ में ध्यान, ज्ञान और भक्ति को आत्मबोध के साधन बताया गया है। यह व्यक्ति को सिखाता है कि कैसे वह अपने भीतर की शुद्ध चेतना को पहचान सकता है।
  संस्कृत साहित्य की कहानी - Sanskrit Sahitya Ki Kahani Hindi PDF Book - by Urmila Modi

सरल और गूढ़ भाषा

‘पारमार्थसार’ (Parmarthasar Book) की भाषा सरल और गूढ़ दोनों का संतुलन रखती है। इसमें गूढ़ आध्यात्मिक सिद्धांतों को सरलता से प्रस्तुत किया गया है, जिससे यह न केवल विद्वानों बल्कि सामान्य पाठकों के लिए भी उपयोगी हो जाता है।

व्यावहारिक दृष्टिकोण

अभिनवगुप्त ने इस ग्रंथ में दार्शनिक विचारों को केवल सैद्धांतिक रूप में नहीं रखा, बल्कि इन्हें जीवन में लागू करने के व्यावहारिक उपाय भी बताए। यह ग्रंथ हर व्यक्ति को उसके दैनिक जीवन में आत्मिक शांति और आध्यात्मिक प्रगति के लिए प्रेरित करता है।

आत्मा और ब्रह्मांड का संबंध

ग्रंथ में बताया गया है कि आत्मा और ब्रह्मांड एक दूसरे के पूरक हैं। आत्मा ब्रह्मांड की चेतना का अंश है, और जब आत्मा अपने असली स्वरूप को पहचान लेती है, तो उसे ब्रह्मांडीय चेतना का अनुभव होता है।

ग्रंथ का प्रभाव

‘पारमार्थसार’(Parmarthasar Book) भारतीय दर्शन और अध्यात्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसका प्रभाव न केवल शैवदर्शन तक सीमित है, बल्कि अन्य दार्शनिक और धार्मिक परंपराओं में भी देखा जा सकता है।

  भट्टिकाव्य - Bhattikavya Hindi PDF Book - by Vasudev Laxman Shastri

निष्कर्ष

‘पारमार्थसार’ (Parmarthasar Book) आत्मज्ञान, मुक्ति और शुद्ध चेतना के अद्वैत सत्य को समझाने वाला एक अद्भुत ग्रंथ है। यह पाठकों को गहन चिंतन और आत्ममंथन के लिए प्रेरित करता है। इसमें जीवन के वास्तविक उद्देश्य और सार को समझाने का प्रयास किया गया है। यह ग्रंथ आज भी अपने समय के दर्शन को जीवंत बनाए हुए है और आध्यात्मिक जिज्ञासुओं के लिए अमूल्य धरोहर है।

इस ग्रंथ को पढ़ना और उसके विचारों को जीवन में अपनाना हर व्यक्ति को उसकी आंतरिक शांति और पूर्णता का अनुभव करा सकता है।

परमार्थसार ,Parmarthasar Sanskrit PDF Book, by Abhinav Gupt,
Parmarthasar Book Download,
Parmarthasar PDF Book,
Parmarthasar Book PDF Download,

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *