सात्वत संहिता - Satvata Samhita Hindi PDF Book - by Pt. Vrajvallabha Dwivedi

सात्वत संहिता – Satvata Samhita Hindi PDF Book – by Pt. Vrajvallabha Dwivedi

“Satvata Samhita Book – वैष्णव धर्म और भगवान विष्णु की उपासना पर आधारित प्राचीन ग्रंथ, जिसमें भक्तियोग, मंत्र और पूजा विधि का वर्णन है।”

“सात्वत संहिता – वैष्णव आचार और धर्मशास्त्र का महत्वपूर्ण ग्रंथ, जो भगवान कृष्ण की भक्ति, मंत्र साधना और आध्यात्मिक ज्ञान को उजागर करता है।”

“Satvata Samhita – श्रीहरि की भक्ति, वैदिक पूजा विधि और वैष्णव परंपरा के नियमों का विस्तृत वर्णन करने वाला दुर्लभ ग्रंथ।”

“Satvata Samhita Book – भगवान विष्णु और वैष्णव भक्ति मार्ग पर आधारित अनमोल ग्रंथ, जिसमें मोक्ष प्राप्ति के गूढ़ रहस्य समाहित हैं।”

“सात्वत संहिता – वैदिक भक्ति योग, श्रीहरि साधना और वैष्णव तंत्र पर आधारित महत्वपूर्ण ग्रंथ, जो आध्यात्मिक उन्नति का मार्गदर्शन करता है।”

Book Details / किताब का विवरण 

Book Nameसात्वत संहिता / Satvata Samhita
AuthorPt. Vrajvallabha Dwivedi
Languageसंस्कृत / Sanskrit
Pages812
QualityGood
Size174 MB

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Table of Contents

Satvata Samhita Book

सात्त्वत संहिता (Satvata Samhita Book) एक महत्वपूर्ण पौराणिक ग्रंथ है, जो वैष्णव परंपरा और विशेष रूप से भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की उपासना पर केंद्रित है। यह ग्रंथ पंचरात्र आगम परंपरा का एक प्रमुख अंग है और वैष्णव भक्तों के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करता है। इसमें मूर्ति स्थापना, पूजा विधि, मंत्र, ध्यान साधना, योग, भक्ति और धर्म के सिद्धांतों का विस्तार से वर्णन किया गया है।

सात्त्वत परंपरा भगवान श्रीकृष्ण के अनुयायियों से जुड़ी है, जिन्हें सात्त्वतों के रूप में जाना जाता था। यह ग्रंथ न केवल धार्मिक और दार्शनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज के नैतिक और आध्यात्मिक उत्थान के लिए भी एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है।

सात्त्वत संहिता का स्वरूप और महत्व

वैष्णव परंपरा में स्थान

सात्त्वत संहिता (Satvata Samhita Book) वैष्णव भक्ति परंपरा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसमें श्रीकृष्ण को परमेश्वर के रूप में स्वीकार किया गया है और उनकी उपासना के नियमों को स्पष्ट किया गया है।

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पंचरात्र आगम और सात्त्वत संहिता

पंचरात्र आगम साहित्य वैष्णव संप्रदाय की आधारशिला है, और सात्त्वत संहिता इस परंपरा का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसमें भगवान विष्णु के उपासकों के लिए नियम, सिद्धांत और ध्यान की विधियाँ दी गई हैं।

भक्ति, ज्ञान और योग का समन्वय

इस ग्रंथ में केवल भक्ति मार्ग ही नहीं, बल्कि ज्ञान (ब्रह्मविद्या), ध्यान, योग और कर्म को भी समान रूप से महत्व दिया गया है।

ग्रंथ की प्रमुख विषय-वस्तु

श्रीकृष्ण का दिव्य स्वरूप और भक्ति साधना

  • श्रीकृष्ण को परब्रह्म के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
  • उनकी उपासना के लिए भक्तों को अनुशासित जीवन जीने की प्रेरणा दी गई है।
  • भक्ति के विभिन्न प्रकार – श्रवण, कीर्तन, स्मरण, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य और आत्मनिवेदन – का वर्णन।

मूर्ति पूजन और मंदिर निर्माण की विधि

  • मूर्ति की स्थापना के नियम और उसके महत्व का विवरण।
  • मंदिर निर्माण के वास्तुशास्त्र और पूजा-पद्धति का वर्णन।
  • भक्ति में मूर्ति पूजा की आवश्यकताओं को स्पष्ट किया गया है।

मंत्र और ध्यान साधना

  • विष्णु और श्रीकृष्ण के लिए विशेष मंत्रों का उल्लेख।
  • ध्यान और प्राणायाम की विधियाँ, जो मानसिक शुद्धता और आत्मबोध में सहायक होती हैं।
  • विशेष रूप से “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र की महिमा का उल्लेख।

योग और आत्मिक उन्नति

  • वैष्णव योग की व्याख्या, जिसमें हठयोग और राजयोग का समावेश है।
  • ध्यान और समाधि की स्थिति को प्राप्त करने के लिए आवश्यक अभ्यास।
  • ईश्वर के साथ आत्मा के संबंध को गहराई से समझाने का प्रयास।

नैतिकता और जीवन के सिद्धांत

  • धर्म, सत्य, अहिंसा, करुणा और दया के महत्व पर जोर।
  • समाज में सद्गुणों के प्रसार के लिए नियम और आचार-संहिता का विवरण।
  • राजा, गृहस्थ, सन्यासी और ब्रह्मचारी के लिए जीवन के नियम।
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सात्त्वत संहिता की विशेषताएँ

भक्ति योग का महत्व

सात्त्वत संहिता (Satvata Samhita Book) में भक्ति को मोक्ष प्राप्ति का सर्वोत्तम मार्ग बताया गया है। इसमें यह समझाया गया है कि भगवान के प्रति अनन्य प्रेम और श्रद्धा से मनुष्य इस संसार के बंधनों से मुक्त हो सकता है।

पंचरात्र मत की विशेषताएँ

इस ग्रंथ में पंचरात्र मत के सिद्धांतों को विस्तार से बताया गया है, जिसमें “संपूर्ण सृष्टि भगवान की लीला है” यह विचार प्रमुख है।

ध्यान और समाधि का वर्णन

योग और ध्यान की प्रक्रियाओं को विस्तार से समझाया गया है। विशेष रूप से, विष्णु ध्यान की विधियाँ और उनके चक्रों का वर्णन किया गया है।

समाज और धर्म का संतुलन

सात्त्वत संहिता (Satvata Samhita Book) न केवल व्यक्तिगत भक्ति का मार्ग दिखाती है, बल्कि यह भी बताती है कि एक समाज को कैसे धार्मिक रूप से सुदृढ़ बनाया जा सकता है। इसमें धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के सम्यक संतुलन पर जोर दिया गया है।

सात्त्वत संहिता की आधुनिक प्रासंगिकता

(1) आध्यात्मिक शांति और ध्यान

आज के व्यस्त जीवन में, यह ग्रंथ आत्मिक शांति और ध्यान के माध्यम से मानसिक संतुलन प्राप्त करने में मदद करता है।

(2) समाज में नैतिकता और सद्गुणों का प्रसार

समाज में नैतिकता और सद्गुणों के अभाव को देखते हुए, इस ग्रंथ की शिक्षाएँ अत्यंत प्रासंगिक हैं। सत्य, दया, करुणा और अहिंसा पर आधारित इसका संदेश आज भी मूल्यवान है।

(3) विज्ञान और धर्म का सामंजस्य

इस ग्रंथ में आध्यात्मिकता और विज्ञान को एक साथ जोड़ा गया है। यह बताता है कि कैसे ध्यान, मंत्र, और योग के माध्यम से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है।

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(4) वैश्विक स्तर पर वैष्णव धर्म का प्रसार

सात्त्वत संहिता ने भारत के साथ-साथ पूरे विश्व में वैष्णव परंपरा के विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आज भी, कृष्ण भक्ति का संदेश इस्कॉन (ISKCON) जैसे संगठनों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर फैलाया जा रहा है।

निष्कर्ष

सात्त्वत संहिता  (Satvata Samhita Book) केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक साधना, योग, भक्ति और जीवन के नैतिक सिद्धांतों का अद्भुत संकलन है।

  • इसमें भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की महिमा, उनके ध्यान और पूजा के नियमों का विस्तृत वर्णन है।
  • भक्ति, ज्ञान, योग और ध्यान के समन्वय से यह ग्रंथ जीवन को संपूर्णता प्रदान करता है।
  • यह न केवल वैष्णव भक्तों के लिए, बल्कि उन सभी के लिए उपयोगी है जो आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति की खोज में हैं।

यदि आप भगवान कृष्ण की उपासना, योग, भक्ति और धर्म के गूढ़ रहस्यों को समझना चाहते हैं, तो सात्त्वत संहिता निश्चित रूप से अध्ययन करने योग्य ग्रंथ है। यह न केवल मोक्ष की ओर ले जाता है, बल्कि जीवन को सुखमय और सार्थक भी बनाता है।

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