Tattva bodha Shankaracharya Book

तत्त्वबोध – Tattvabodha Shankaracharya Hindi PDF Book

“तत्व बोध” (Tattva bodha Shankaracharya Book) पुस्तक में आदि शंकराचार्य द्वारा लिखित अद्वैत वेदांत के गहन सिद्धांतों को सरल भाषा में समझाया गया है। यह आत्मज्ञान और आध्यात्मिक विकास के लिए एक अनमोल ग्रंथ है।

“तत्व बोध (शंकराचार्य)” (Tattva bodha Shankaracharya Book) पुस्तक में आत्मा, ब्रह्म, और जगत के रहस्यों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। यह पुस्तक सत्य और ज्ञान की खोज करने वालों के लिए उपयुक्त है।

“तत्व बोध” (Tattva bodha Shankaracharya Book) शंकराचार्य के अद्वैत दर्शन को समझने के लिए एक मार्गदर्शिका है, जिसमें जीवन और आत्मा के गहरे सिद्धांतों को सरल और स्पष्ट रूप में व्यक्त किया गया है।

“तत्व बोध (शंकराचार्य)” (Tattva bodha Shankaracharya Book) में अद्वैत वेदांत के माध्यम से जीवन के गूढ़ प्रश्नों और आत्मिक शांति प्राप्ति के उपायों का विस्तार से वर्णन किया गया है।

“तत्व बोध” (Tattva bodha Shankaracharya Book) पुस्तक में आत्मा और ब्रह्म के वास्तविक स्वरूप को जानने के लिए अद्वैत वेदांत के गहन सिद्धांतों का सरलीकृत वर्णन किया गया है।

Book Details / किताब का विवरण 

Book Nameतत्त्वबोध / Tattvabodha
AuthorPandit Shree Vaijnath Sharma
Languageसंस्कृत / Sanskrit
Pages50
QualityGood
Size11 MB

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Table of Contents

Tattva bodha Shankaracharya Book

‘तत्त्व बोध’ (Tattva bodha Shankaracharya Book) आद्य शंकराचार्य द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो अद्वैत वेदांत के सिद्धांतों को सरल और सुलभ रूप में प्रस्तुत करता है। यह ग्रंथ उन जिज्ञासु साधकों के लिए अत्यंत उपयोगी है जो आत्मज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति की ओर अग्रसर होना चाहते हैं। इसमें शंकराचार्य ने वेदांत के जटिल विषयों को सहज और व्यवस्थित रूप से समझाया है।

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पुस्तक का उद्देश्य

‘तत्त्व बोध’ (Tattva bodha Shankaracharya Book) का मुख्य उद्देश्य साधकों को आत्मा, ब्रह्म, जीव और जगत के वास्तविक स्वरूप का ज्ञान कराना है। यह ग्रंथ वेदांत के आधारभूत तत्वों को स्पष्ट करता है और साधक को आत्म-स्वरूप को पहचानने की दिशा में मार्गदर्शन देता है। शंकराचार्य ने इसे सरल भाषा और छोटे-छोटे प्रकरणों में विभाजित कर लिखा है, ताकि कोई भी साधारण व्यक्ति इसे पढ़कर आत्मज्ञान प्राप्त कर सके।

ग्रंथ की संरचना

‘तत्त्व बोध’ (Tattva bodha Shankaracharya Book) को कई अध्यायों में विभाजित किया गया है, जिसमें प्रत्येक अध्याय वेदांत के किसी न किसी महत्वपूर्ण सिद्धांत को स्पष्ट करता है। इसमें प्रश्नोत्तर शैली का उपयोग किया गया है, जो पाठक को विषय को आसानी से समझने में मदद करता है।

 

  1. साधना चतुष्टय

    • आत्मज्ञान के लिए चार प्रमुख साधन आवश्यक हैं:
      • विवेक: नित्य और अनित्य वस्तुओं का भेद करने की क्षमता।
      • वैराग्य: अनित्य वस्तुओं से अनासक्ति।
      • षट-संपत्ति: मनोनिग्रह, इंद्रिय-निग्रह, धैर्य, श्रद्धा, समाधान, और उपरति।
      • मुमुक्षुत्व: मोक्ष की तीव्र इच्छा।
    • इन चार साधनों को साधक के आत्मज्ञान की प्राप्ति का आधार बताया गया है।
  2. जीव, जगत और ब्रह्म का स्वरूप

    • ग्रंथ में जीव को आत्मा का प्रतिबिंब बताया गया है, जो अज्ञान और माया के कारण अपने वास्तविक स्वरूप को भूल जाता है।
    • जगत को माया का प्रकट रूप कहा गया है, जो अस्थायी और अनित्य है।
    • ब्रह्म, जो नित्य, सत्-चित्-आनंद स्वरूप और जगत का मूल कारण है, को तत्त्व के रूप में समझाया गया
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  1. अहंकार और आत्मा का भेद

    • अहंकार (मैं) और आत्मा (साक्षी) के बीच अंतर को स्पष्ट किया गया है।
    • अहंकार का संबंध देह और मन से है, जबकि आत्मा शुद्ध चेतना है।
  2. मोक्ष की प्रक्रिया

    • आत्मा को उसके वास्तविक स्वरूप में पहचानने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
    • शंकराचार्य के अनुसार, आत्मा और ब्रह्म एक ही हैं; इस ज्ञान को प्राप्त करना ही मोक्ष है।

महत्वपूर्ण सिद्धांत और शिक्षाएँ

  1. अद्वैत वेदांत की पुष्टि

    • ‘तत्त्व बोध’ अद्वैत वेदांत के सिद्धांत पर आधारित है, जो यह मानता है कि आत्मा और ब्रह्म में कोई भेद नहीं है।
    • ब्रह्म ही एकमात्र सत्य है और जगत माया के कारण सत्य प्रतीत होता है।
  2. ज्ञान का महत्व

    • अज्ञान (अविद्या) को सभी दुखों का मूल कारण बताया गया है।
    • आत्मज्ञान ही अज्ञान को नष्ट कर सकता है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।

3.माया और ब्रह्म

    • माया को ब्रह्म की शक्ति बताया गया है, जो जगत को प्रकट करती है।
    • माया से परे जाकर ब्रह्म के स्वरूप को समझना ही ज्ञान का सार है।

4.साधक का मार्गदर्शन

    • साधकों को आत्मानुभूति की ओर ले जाने के लिए तत्त्व बोध में विशद मार्गदर्शन दिया गया है।

पुस्तक का महत्व

‘तत्त्व बोध’ (Tattva bodha Shankaracharya Book) न केवल वेदांत का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, बल्कि यह साधकों के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी है। यह व्यक्ति को उसके जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझने में मदद करता है। आत्मा, ब्रह्म और जगत के सत्य स्वरूप को जानने की जो इच्छा एक साधक में उत्पन्न होती है, उसे यह ग्रंथ पूर्ण करता है।

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निष्कर्ष

‘तत्त्व बोध’ (Tattva bodha Shankaracharya Book) एक ऐसा ग्रंथ है जो वेदांत के गूढ़ सिद्धांतों को सहज और सरल भाषा में प्रस्तुत करता है। यह आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए न केवल एक साधन है, बल्कि यह साधकों को मोक्ष के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देता है। शंकराचार्य की यह रचना हर व्यक्ति के लिए उपयोगी है, चाहे वह आध्यात्मिक साधक हो या वेदांत में रुचि रखने वाला कोई सामान्य पाठ हो .

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